इस जगह लगता है दूल्हा market, हर रेट पर दूल्हा उपल्बध, लेकिन वारंटी-गारंटी नहीं

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इस जगह लगता है दूल्हा market, हर रेट पर दूल्हा उपल्बध, लेकिन वारंटी-गारंटी नहीं

market:भारत में भांति- भांति प्रकार के लोग रहते हैं और इसी तरह उनके अलग-अलग रीति-रिवाज हैं.

आज हम आपको इंडिया के राज्य बिहार के एक रिवाज के बारे में बताने जा रहे हैं,

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जहां दूल्हे की बोली लगाई जाती है. यहां सालों से दूल्हों को बेचने

की रस्म निभाई जाती है और उनकी रेट लिस्ट भी लगती है.

ये रिवाज राज्य बिहार के मधुबनी जिले का है, जहां दूल्हा बाजार लगता है.

वहीं, इसे सौराठ सभा के नाम से भी जाना जाता है. ये प्रथा पिछले 700 सालों से निभाई जा रही है.

मिलता है हर प्रकार का दूल्हा

मिथिलांचल क्षेत्र में हर साल लगने वाले सभा या दूल्हा बाजार में लड़कियों के परिवार वाले अपनी बेटी के लिए

लड़का ढूढ़ते हैं. इस सभा में हर प्रकार का दूल्हा मिलता है और परिवार, कुंडली,

लड़के की पढ़ाई, लड़के की कमाई, गुण इन सबके हिसाब से लड़का चुना जाता है.

कहते हैं कि पुराने समय में गुरुकुल से युवकों को इस सभा में लाया जाता था

और इस सभा को मैथिल ब्राह्मण और कायस्थ ने शुरू किया था. वहीं, युवकों का चुनाव होने के बाद परिवार वाले अपनी

बेटी की शादी करवाते थे. इसी के साथ यहां इस बात का खास

ध्यान रखा जाता था कि दोनों परिवारों में पहले का कोई रिश्ता तो नहीं है.

दूल्हा मार्केट में लाखों में भी मिलते हैं दूल्हें

इसी के चलते अब ये सभा या दूल्हा बाजार लोगों को इतना पंसद आने लगा है

कि धोती-कुर्ता पहन हजारों लड़के इस सभा में आते हैं. वहीं, कई बार दूल्हों को इतनी बोली लगा दी जाती है

कि लोग में चौंक जाते हैं. यहां हजारों से लेकर लाखों में दूल्हे बिकते हैं.

वैसे आप इस दहेज कहे या कुछ और लेकिन ये दूल्हा मार्केट यहां सदियों से लगता आ रहे है. वहीं, दूल्हा खरीदने से पहले

दूल्हे की क्वालिफिकेशन, परिवार, लेखा-जोखा आदि चीजें का खास ख्याल रखा जाता है.

अनोखी डिमांड्स

कहते हैं कि इस दूल्हा बाजार में दूल्हों से उनका बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर स्कूल सर्टिफिकेट, सैलरी स्लिप आदि

भी मांगे लिए जाते हैं. साथ हीं, लड़की वाले पूरी खोजबीन करते हैं, लेकिन यहां चट मंगनी और पट ब्याह हो जाता है.

लड़का पंसद आते ही विवाह की तैयारियां होने लगती हैं और कई बार वहीं शादी करवा दी जाती हैं.

दूल्हा बाजार (market) में सबसे पहले लड़का और लड़की के गोत्र देखे जाते हैं. अगर गोत्र एक होता है तो शादी नहीं होती.

खुलेआम नीलाम होते हैं लड़के

एक तरफ समाज में दहेज को गलत माना जाता है, वहीं दूसरी ओर दूल्हा बाजार में खुलेआम

लड़कों की बोली लगाकर दहेज को मान्यता दे रहा है. ये एक समाज है,

जहां बचपन से लड़कों को पाला ही जाता ही इसलिए जाता है कि बड़े होकर दूल्हा बाजार में बोली लगाकार

अच्छा पैसा मिलेगा. कहने को तो वह मर्द है लेकिन उनमें इतनी क्षमता नहीं की वह कमा कर

अपने परिवार में का पालन-पोषण कर सकें. वहीं, ये लड़के दहेज के

लिए इन बाजारों में बिकने के लिए आते हैं और एक मोटी रकम वसूलते हैं और खुलेआम नीलाम होते हैं.

वहीं, दूसरी ओर समाज का एक ओर तबका भी है, जहां लड़की के मां-बाप लाखों रुपये देकर लड़के खरीदने के लिए

यहां आते हैं. वे सोचते हैं कि अच्छा पैसा देंगे तो उनकी बेटी रानी बनकर रहेगी,

लेकिन इसका मतलब ये कतह ही नहीं है कि आप पैसा देकर अपनी बेटी को रानी बना देंगे.

बल्कि वो उस लड़की की किस्मत पर निर्भर है कि वो अगले घर जाकर रानी बनेगी या नौकरानी.

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Ajay Sharmahttps://computersjagat.com
Indian Journalist. Resident of Kushinagar district (UP). Editor in Chief of Computer Jagat daily and fortnightly newspaper. Contact via mail computerjagat.news@gmail.com

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