प्रसव के बाद शुरूआती एक घंटे में स्तनपान कराना बच्चे के लिए अमृत समान: डॉ0 सुजाता संजय

Date:

spot_img
spot_img

Date:

spot_img
spot_img

स्तनपान जागरूकता में नर्से दे सकती है महत्वपूर्ण योगदान: डॉ0 सुजाता संजय

 बच्चों को स्तनपान कराने के लिए ऑफिसों में उचित जगह नहीं: डॉ0 सुजाता संजय

- Advertisement -
- Advertisement -

 शिशु के पोषक तत्व के लिए माँ के डाइट में करे शामिल: डॉ0 सुजाता संजय

देहरादून :संजय ऑर्थोपीड़िक,स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर, जाखन, देहरादून द्वारा आयोजित वेविनार में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित डॉ0 सुजाता संजय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा ने विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) को लेकर स्तनपान ओरिएंटेशन कार्यशाला वेविनार का आयोजन किया गया।

इस जन-जागरूकता व्याख्यान में उत्तरप्रदेश ,उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश व पंजाब से 98 से अधिक मेडिकल, नर्सिंग छात्रों व किशोरियों ने भाग लिया।

मैटरनिटी सेन्टर, द्वारा स्तनपान की महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने एवं शिशुओं को कुपोषण से बचाने के लिए इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ0 सुजाता संजय स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ द्वारा कॉलेज के मेडिकल छात्र-छात्राओं को स्तनपान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी।

डॉ0 सुजाता संजय ने बताया मां का दूध बच्चे के लिए अमृत से कम नहीं। यह न सिर्फ शिशु के सर्वांगींण विकास के लिए जरूरी है, बल्कि इससे मां को भी मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य लाभ होता है।

जन्म के शुरूआती एक घंटे में शिशु के लिए मां का दूघ अत्यन्त जरूरी है। इससे पूरी दूनिया में लगभग आठ हजार जिन्दगियां बचती हैं।

बावजूद इसके स्तनपान को लेकर अभी भी लोगों में काफी भ्रातियां फैली हुई है। आज भी लोगों में स्तनपान की जरूरतों के प्रति जागरूकता की कमी है।

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के करीब 77 करोड नवजात या हर दो में से एक शिशु को मां का दूध पहले घंटे में नहीं मिल पाता है।

यह आंकडा शिशु मृत्यु दर के लिए बेहद अहम हैं दो से 23 घंटे तक मां का दूध न मिलने से बच्चे के जन्म से 28 दिनों के भीतर मृत्यु दर का आंकडा 40 फीसदी होता है,

जबकि 24 घंटे के बाद भी दूध न मिलने से मृत्यु दर का यही आंकडा बढकर 80 प्रतिशत तक हो जाता है। देश में नवजात शिशुओं की मौत की सबसे बडी वजह मां का दूध नहीं पिलाया जाना भी है ।

इसलिए बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते है। सरकारी आंकडो के अनुसार देश में 5 साल से कम आयु केे 42,5 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं और 69,5 प्रतिशत बच्चे खून की कमी से जुझ रहे हैं।

दूनिया के 10 अविकसित बच्चों में से चार भारतीय होते है। और पांच साल से कम उम्र के लगभग 15 लाख बच्चे हर साल भारत में अपनी जान गंवाते हैं।

शिशु के लिए माँ का दूध अमृत

डॉ0 सुजाता संजय ने छात्र-छात्राओं को स्तनपान के महत्व के बारे में बताया कि मातृत्व स्त्री के जीवन की संपूर्णता एवं सार्थकता समझी जाती है। मां का दूध, जिसमें बच्चे को पोषण मिलता है, उसकी बीमारियों से रक्षा होती है। शिशु के लिए माँ का दूध अमृत के समान होता है।

माँ के दूध से शिशु कुपोषण के साथ-साथ रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है। पहले छः महीने तक बच्चों को केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए।

सुपाच्य होने के कारण माँ के दूध से शिशु के जीवन के लिए जरूरी है। इतना ही नहीं स्तनपान सिर्फ आपके शिशु के लिए ही नहीं बल्कि आपके लिए भी फायदेमंद है।

मां के दूध से बच्चे की सेहत अच्छी बनी रहती है

आप जितना अपनी डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करेंगी, उतना ही आपके बच्चे को दूध के जरिए न्यूट्रिएंट्स प्राप्त होंगे। आप चाहती हैं कि आपके बच्चे की सेहत अच्छी बनी रहे, तो आप अपनी डाइट में हल्दी को अधिक शामिल करें।

हल्दी के सेवन से स्तनपान कराने वाली महिलाओं को फायदा होता है। हल्दी में मौजूद पोषक तत्व दूध पिलाने के दौरान आपको कई तरह के इंफेक्शन से बचा सकते हैं, जिससे शिशु की सेहत पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं होगा।

डॉ0 सुजाता ने बताया स्तनपान केवल माता का ही दायित्व नहीं है, बल्कि उसके लिए सकारात्मक माहौल बनाने में साथी, परिवार, कार्यस्थल और अन्य सहयोगी जनों की भी भूमिका है। स्तनपार एक नैसर्गिक क्रिया है।

जो मां से बच्चे के संबंध को परिभाषित करती है। पर यह तब तक संभव नहीं है जब तक मां को इसके लिए उपयुक्त माहौल न मिले। देश में 50 प्रतिशत से अधिक कामकाजी महिलाओं का मानना है

कि उनके कार्यालयों में उन्हें अपने बच्चों को स्तनपार करवाने की उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है। कामकाजी महिलाओं को स्तनपान करवाने के लिए संस्था के तरफ से छूट होनी चाहिए ताकि वह बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सके।

डॉ0 सुजाता संजय ने कहा कि माँ का दूध, आपके शिशु के लिए परिपूर्ण आहार है। माँ का दूध सुपाच्य होता है जिससे यह शिशु को पेट सम्बन्धी गड़बड़ियों से बचाता है।

स्तनपान शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। स्तनपान से दमा और कान सम्बन्धी बीमारियाँ नियंत्रित रहती हैं, क्योंकि माँ का दूध शिशु की नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है।

स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में उदर व श्वसन तंत्र के रोग, रक्त कैंसर, मधुमेह तथा उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है।

 

 

Share This:
Ajay Sharmahttps://computersjagat.com
Indian Journalist. Resident of Kushinagar district (UP). Editor in Chief of Computer Jagat daily and fortnightly newspaper. Contact via mail computerjagat.news@gmail.com

Most Popular

More like this
Related

वैष्णो देवी ट्रैक पर भूस्खलन, पांच श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत

वैष्णो देवी ट्रैक पर भूस्खलन, पांच श्रद्धालुओं की दर्दनाक...

कटरीना कैफ का शाहरुख खान पर निशाना, मीडिया के सामने दिया करारा जवाब

कटरीना कैफ का शाहरुख खान पर निशाना, मीडिया के...

प्रशासन की निगरानी में हो रहा यूरिया खाद का वितरण

प्रशासन की निगरानी में हो रहा यूरिया खाद का...

अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट परिसर में न्यायालय के निर्देश पर आठों भवन स्वतः हटाए गए

अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट परिसर में न्यायालय के निर्देश पर आठों...