Snake: बारिश के साथ ही बढ़े सांप डंसने के मामले,UP के इस जिले में 68 मरीज वेंटीलेटर पर; नई गाइडलाइन जारी
Snake: बिलों में बारिश का पानी भरने से इंसानों की बस्तियों में आ रहे सांपों का डंसना बढ़ गया है। गत 14 दिनों में हैलट में सांप के डंसने के रिकॉर्ड 123 मामले पहुंचे। इनमें से 68 मरीजों को बेहद जहरीले सांपों ने डंसा था, जहर के असर ने सीधे नर्वस सिस्टम को लकवा ग्रस्त करना शुरू कर दिया था। डॉक्टरों ने तुरंत मरीजों को वेंटीलेटर पर लिया। तीन से पांच दिनों के इलाज में 42 मरीजों को वेंटीलेटर से डॉक्टर बाहर ले आए। नौ अब भी वेंटीलेटर पर हैं। डॉक्टरों के अनुसार एक मरीज को कम से कम 23 से 25 एंटी स्नेक वेनम के सुई लगाई जा रही है। यदि उन्हें समय रहते इलाज न मिले तो मरीज की मौत हो सकती है।
रोज चार से पांच लोगों को डंस रहे सांप हैलट में बीते एक पखवाड़े में रोजाना चार से पांच मरीज भर्ती हो रहे हैं। जो सांप के डंसने के शिकार थे। 14 दिन में 780 एंटी स्नेक वेनम वॉयल लगाए गए हैं। मांग को देखते हुए 1000 और वॉयल हैलट के स्टोर में आ गए हैं। रोजाना की खपत 100 वॉयल तक पहुंच गई है।
सांपों का जहर करता अलग-अलग असर
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन प्रोफेसर डॉ.जेएस कुशवाहा का कहना है कि सांपों के जहर का अलग-अलग असर होता है। कुछ सांपों के डंसने से न्यूरो टॉक्सिक यानी बीपी के साथ श्वांस प्रक्रिया डैमेज होने लगती है साथ ही नर्वस सिस्टम लकवाग्रस्त हो जाता है जबकि कुछ सांपों के जहर से रक्त में थक्का जमने लगता है।
इंडियन क्रेट ज्यादा जहरीला
प्राणि उद्यान के वेटनरी डॉक्टर डॉ. अनुराग सिंह का कहना है कि भारत में पाया जाने वाला इंडियन क्रेट यूपी में बहुतायत संख्या में हैं। यहां वाइपर, किंग कोबरा और बूम स्लैण्ड सांपों की प्रजातियां ही जहरीली होती हैं।
सर्पदंश से मौत पर 4 लाख की मदद
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सांप के डंसने पर नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत सर्पदंश में मौत पर मृतक आश्रित को चार लाख की सहायता दी जाएगी। साथ ही अब सर्पदंश में मृतक का पंचनामा और पोस्टमार्टम कराया जाएगा लेकिन विसरा रिपोर्ट संरक्षित रखने की जरूरत नहीं है। आश्रित को सात दिन में मदद देने के निर्देश दिए हैं।
जीएसवीएम मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ.एस.के.गौतम ने बताया कि इस समय सर्प दंश के केसों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। हर रोज औसतन इमरजेंसी में चार-पांच मरीज आ रहे हैं। अभी तक विभाग के डॉक्टरों ने सभी मरीजों को खतरे से बाहर निकालने का काम किया है।