यहां खुलने जा रहा UP का पहला Mother Milk Bank, नवजातों को मिलेगा जीवनदान
Mother Milk Bank: मां के दूध की महत्ता को देखते हुए आगरा में प्रदेश की पहली
मदर मिल्क बैंक की स्थापना की जा रही है। सोमवार को जयपुर हाउस स्थित ट्रस्ट के निर्माणाधीन
गर्भाधान संस्कार एवं मेटरनिटी होम पर मदर मिल्क बैंक उद्घोषणा समारोह आयोजित किया गया।
भारत में ह्यूमन मिल्क बैंक की स्थापना में सहयोगी दीपक जे दावे (मुंबई) ने समारोह के
मुख्य वक्ता के तौर पर बताया कि उत्तर प्रदेश के आगरा में यह पहला मदर मिल्क बैंक स्थापित होगा।
जो भी प्रसूता माताएं स्तनपान कराती हैं, वे अतिरिक्त दुग्ध को बैंक में दान कर सकेंगी।
इससे मां के दूध से वंचित बच्चों को जीवन दान मिल सकेगा। बैंक श्री चंद्रभान साबुन वाले सेवा ट्रस्ट की ओर से है।
सीएमओ डॉ अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि मां का दूध मानवजाति के लिए ही वरदान की तरह है।
आगरा में इस तरह की बैंक की स्थापना होना शहरवासियों के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
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स्त्रत्त्ी रोग विशेषज्ञ डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि यदि प्रसूता अपना दुग्ध अपने शिशु को पिलाने के बाद
बैंक में जमा करा देती है तो अन्य शिशु को भी जीवनदायी अमृत मिल सकता है।
समाजसेवी एवं संरक्षक अशोक गोयल डा. भारती अगव्राल, डॉ अनुपम गुप्ता, डॉ संजय चतुर्वेदी आदि रहे।
इस तरह किया जाएगा मां का दूध संरक्षित
दीपक जे दावे ने बताया कि कोई भी स्तनपान कराने वाली मां अपने शिशु को दूध पिलाने के
पश्चात बचे दूध को मदर मिल्क बैंक में प्रिर्जव करा सकेगी। दूध को
एक स्टेनलेस स्टील के कंटेनर में भरकर फ्रिज में स्टोर करने के बाद बैंक तक लाने के लिए
एक कूल बैग, जिसमें ड्राई आइस हों, उसमें रखकर ला सकेंगे। बैंक में दूध की स्क्रीनिंग की जाएगी।
पता लगाया जाएगा कि दानदाता माता किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त जैसे कैंसर, एड्स आदि से ग्रस्त तो नहीं हैं।
लंबे समय से उठ रही मांग
मदर मिल्क बैंक की मांग पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी लंबे समय से उठ रही है।
इंसेफेलाइटिस उन्मूलन अभियान के चीफ कैंपेनर और वरिष्ठ
बाल रोग विशेषज्ञ डा.आर.एन.सिंह का कहना है कि यह आज के समय की मांग है।
मदर मिल्क बैंक के जरिए सैकड़ों, हजारों बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
कुपोषण की समस्या से लड़ा जा सकता है। पिछले 40 वर्षों से नवजात को
छह महीने तक सिर्फ स्तनपान का अभियान चलाने वाले डा.सिंह ने कहा कि
मां के दूध पर हर नवजात का हक है। यह उसे आजीवन स्वस्थ रखने वाली संजीवनी है।
यदि शिशु ने छह महीने तक सिर्फ मां का दूध और उसके बाद दो साल तक अनुपूरक आहार के साथ
मां के दूध का सेवन किया है तो वह ढेर सारी बीमारियों की चपेट में आने से बचा रहता है।
उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी रहती है। इसी वजह से मां के दूध को अमृत भी कहा जाता है।
डॉ.सिंह ने लिखा कि विभिन्न कारणों से कई माताएं अपने शिशुओं को स्तनपान नहीं करा पातीं।
कई शिशुओं की माताएं अलग-अलग परिस्थितियों के चलते उनके साथ
पर्याप्त समय भी नहीं गुजार पाती हैं। ऐसे ही शिशुओं के लिए मदर्स मिल्क बैंक की जरूरत है।
नवजात शिशुओं की बचेगी जान
पूरी दुनिया में हर साल कई नवजात शिशुओं की जान चली जाती है। विशेषज्ञों का कहना है
कि इनमें से ज्यादातर को यदि समय पर और सही ढंग से मां का दूध मिलता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु के जन्म से लेकर छह महीने तक स्तनपान कराने से
शिशु मृत्यु दर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
मां के दूध में शिशु की जरूरत के सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में होते हैं।
इन्हें शिशु आसानी से हजम भी कर लेता है। मां के दूध में मौजूद प्रोटीन और फैट गाय के दूध की तुलना में भी अधिक आसानी से पच जाते हैं। मां के दूध से शिशु के पेट में कब्ज, गैस, दस्त जैसी समस्याएं नहीं होती हैं और दूध उलटने की आशंका काफी कम रहती है।
क्या होता है मदर्स मिल्क बैंक में
बच्चों के लिए मां के दूध को स्टोर किया जाता है। इसके बाद वहां से
जरूरतमंद बच्चों तक यह दूध पहुंचाया जाता है। ऐसे मदर्स मिल्क बैंक सबसे पहले
दूध डोनेट करने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य की पूरी जांच करते हैं।
सुनिश्चित किया जाता है कि कहीं महिला को कोई बीमारी तो नहीं है।
माताओं से लिए गए दूध को माइनस 20 डिग्री तापमान पर रखा जाता है।
इतने तापमान पर यह दूध करीब छह महीने तक खराब नहीं होता है।