मॉनसून की वापसी से यूपी में 30 अगस्त के बाद होगी तेज बारिश

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मॉनसून की वापसी से यूपी में 30 अगस्त के बाद होगी तेज बारिश

Monsoon: यूपी में मौसम एक बार फिर करवट लेने वाला है। वैज्ञानिकों की मानें तो 30 अगस्त के बाद से एक बार फिर से झमाझम बारिश होने का अनुमान है।

जबकि इधर तीन दिनों में उत्तराखंड से सटे जिलों के अलावा प्रदेश के कुछ इलाकों में छिटपुट बारिश होगी। लखनऊ स्थित मौसम विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर अगले सात दिनों की बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है।

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इन स्थानों पर बारिश के आसार

27 अगस्त से 29 अगस्त तक कहीं-कहीं बारिश/ गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है। वहीं 30 से 2 तक लगभग सभी स्थानों पर बारिश के आसार हैं।

इसके अलावा बुधवार को गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, हापुड़, गाज़ियाबाद, बागपत, में मेघगर्जन, बिजली गिरने के साथ मध्यम से भारी वर्षा के आसार है वहीं अलीगढ़, बदायूं, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, संभल, हापुड़, गाज़ियाबाद, मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

मौसम वैज्ञानिक डॉ एके सिंह ने बताया 

प्रदेश के दक्षिणी भाग से होकर गुजरे निम्नदाब क्षेत्र के कमजोर पड़ने तथा उससे संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण राजस्थान की तरफ खिसक गया है।

साथ ही ओडिशा तट से दूर उत्तरी पश्चिमी बंगाल की खाड़ी पर बने एक अन्य निम्नदवाब क्षेत्र के प्रभाव से मानसून द्रोणी के संभावित दक्षिणी विचरण के कारण प्रदेश में कोई सक्रिय मौसम तंत्र नहीं है।

साथ ही परिणामस्वरूप आगामी तीन‘चार दिनों के दौरान बंगाल की खाड़ी से पहाड़ों की ओर आ रही नमी के प्रभाव से उत्तराखंड से सटे जिलों को छोड़कर प्रदेश के अन्य भागों में छिटपुट वर्षा को छोड़कर कोई प्रभावी बारिश होने की संभावना नहीं है।

उन्होंने कहा कि 30 अगस्त से परिस्थितियां अनुकूल होने पर प्रदेश में वर्षा के वितरण एवं तीव्रता में बढ़ोत्तरी होने के साथ-साथ फिर से भारी बारिश हो सकती है।

इसी क्रम में राजधानी लखनऊ में भी शनिवार के बाद फिर से अच्छी बारिश के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। गौरतलब है कि मानसून द्रोणी का तात्पर्य यह है कि एक कम दबाव वाली लंबी पट्टी होती है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून प्रणाली के लिए जिम्मेदार हवाओं के प्रवाह को निर्देशित करती है।

यह निम्न वायुदाब की एक पंक्ति होती है, जहाँ से हवा ऊपर उठती है और जिससे भारी वर्षा होती है। आमतौर पर, यह द्रोणी राजस्थान से होकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल तक जाती है।

जब यह अपनी सामान्य स्थिति से उत्तर की ओर खिसक जाती है, तो गंगा के मैदानी जिलों में बारिश कम हो जाती है। जबकि तराई क्षेत्र में वर्षा की तीव्रता बढ़ जाती है।

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Ajay Sharmahttps://computersjagat.com
Indian Journalist. Resident of Kushinagar district (UP). Editor in Chief of Computer Jagat daily and fortnightly newspaper. Contact via mail computerjagat.news@gmail.com

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