Encounter: UP गया तो पलट जाएगी गाड़ी, हो जाएगा एनकाउंटर:अतीक अहमद
encounter: प्रयागराज में सनसनीखेज उमेश पाल हत्याकांड में नामजद होने के बाद से
बाहुबली अतीक अहमद को अपनी जान का खतरा सता रहा है।
गुजरात की साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद यूपी नहीं आना चाहता है।
उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि अगर यूपी पुलिस को उससे पूछताछ करनी है
तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हो। अतीक ने यूपी में अपने
एनकाउंटर (encounter) की आशंका जताते हुए कहा कि
वहां के मंत्री गाड़ी पलटने की बातें कर रहे हैं। इससे पहले
इलाहाबाद की कोर्ट में भी अतीक और उसके भाई अशरफ की तरफ से इसी तरह की
याचिका दायर की गई थी। लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका में अतीक ने तर्क दिया है
कि वह लगातार पांच बार विधायक और एक बार सांसद निर्वाचित हुआ था।
उसे डर है कि जेल स्थानांतरण के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस फर्जी मुठभेड़ में उसे मार सकती है।
अतीक ने अपनी याचिका में जीवन की रक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की गुहार लगाई है।
अतीक ने यह भी सुनिश्चित करने की गुहार लगाई गई है
कि अहमदाबाद से प्रयागराज जेल या उत्तर प्रदेश के किसी हिस्से में
स्थानांतरित करते वक्त पुलिस हिरासत/रिमांड/पूछताछ के दौरान किसी भी
तरह से उसे कोई शारीरिक चोट या नुकसान नहीं पहुंचे।
अपनी याचिका में अतीक ने कहा है कि शीर्ष अदालत इस तथ्य पर गौर कर सकती है
कि याचिकाकर्ता के पास उन्हें (उमेश को) मारने का कोई मकसद नहीं है,
क्योंकि मुकदमे की सुनवाई अगले महीने समाप्त होने वाली है।
साथ ही मुकदमे में उमेश पाल के पास कुछ भी करने के लिए नहीं बचा था
और अदालत को तर्कों के बाद मामले का फैसला करना है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में अतीक अहमद ने कहा कि वहां की सरकार के
कई मंत्री बार बार गाड़ी पलटने जैसी बातें कह रहे हैं। इससे साफ है
कि उसके साथ कुछ भी हो सकता है। उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस ने अतीक अहमद को ही
मुख्य आरोपी बनाया है। उमेश पाल की 24 फरवरी को
प्रयागराज में सनसनीखेज तरीके से गोली और बम मारकर
हत्या कर दी गई थी। वारदात में उमेश पाल का गनर भी मारा गया था।
प्रयागराज कोर्ट से झटका के बाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
अतीक अहमद और उसका भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ ने इससे पहले मंगलवार को
इसी तरह की अर्जी प्रयागराज की कोर्ट में दाखिल की थी। वहां से अर्जी खारिज होने पर
अतीक सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। उसने अपनी अर्जी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां दाखिल की थी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार गौतम ने अतीक अहमद और
उसके भाई अशरफ की ओर से पेश अर्जी पर कहा कि अभियोजन अधिकारी ने बताया है
कि अभी पुलिस की ओर से वारंट प्राप्त करने के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई है
इसलिए इनके प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने के योग्य हैं।
अतीक और अशरफ की ओर से न्यायालय में दिए गए प्रार्थना पत्र में कहा गया था
कि धूमनगंज थाने की अपराध संख्या 114 / 2023 धारा 147, 148, 149, 302, 307,
120 बी, 506.34 तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व धारा 7 सीएलए
एक्ट (उमेश पाल हत्याकांड) के मामले में वे नामजद अभियुक्त हैं।
इसके साथ ही दोनों विभिन्न थानों की विभिन्न अपराध संख्याओं में भी निरुद्ध हैं।
उनकी समस्त न्यायिक कार्यवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग से की जा रही है,
लेकिन पुलिस अधिकारी न्यायालय को भ्रमित कर रास्ते में उनकी हत्या करवाने की
साजिश के तहत उनका वारंट बी प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।
दोनों ने अपने प्रार्थना पत्र में उक्त आधार पर पुलिस द्वारा तलब करने के लिए
बी वारंट की याचना करने पर उसे खारिज करने की मांग की है।
यह भी कहा है कि अगर आवश्यक हो तो प्रश्नगत मुकदमे में
न्यायिक अभिरक्षा रिमांड की कार्रवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही करवाई जाए।
गाड़ी पलटने का क्या है मामला
असल में कानपुर के शातिर विकास दुबे का एनकाउंटर होने के बाद से
गाड़ी पलटने की बातें लगातार की जा रही हैं। कई पुलिस वालों की हत्या के
आरोपी विकास दुबे को पुलिस ने एमपी से गिरफ्तार किया था।
वहां से कानपुर लाते समय उसे एनकाउंटर में मार गिराया गया था।
पुलिस ने तब बताया था कि एमपी से आते समय गाड़ी पलट गई थी।
इससे विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और मारा गया।