Politics:उस खानदान की कहानी,कई साल से भाई-बहन में चला आ रहा मतभेद हुआ खत्म
Politics: महाराष्ट्र की सियासत में इस बार अलग ही रंग देखने को मिल रहे हैं. सियासी तानाबाना ऐसा सेट हुआ है कि कहीं पार्टी टूट गई तो कहीं परिवार में फूट पड़ गई.
हालांकि एक परिवार एकजुट हो गया है. जी हां, बीड में कई साल से भाई-बहन में चला आ रहा मतभेद खत्म हो गया है.
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धनंजय मुंडे और पंकजा मुंडे फिर एक हो गए हैं. अब भाई अपनी चचेरी बहन के लिए जोरदार तरीके से प्रचार करने में लगा है.
बाकी, बारामती में भाई अजीत पवार और बहन सुप्रिया सुले एक दूसरे के खिलाफ हैं. सुप्रिया का मुकाबला भाभी सुनेत्रा पवार से है.
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अभी धनंजय मुंडे क्यों नाराज थे?
पंकजा मुंडे भाजपा के दिग्गज नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं और धनंजय उनके चचेरे भाई हैं.
जैसे बारामती में शरद पवार ने भतीजे अजीत पवार को राजनीति का ककहरा सिखाया, वैसे ही गोपीनाथ ने अपने भतीजे धनंजय को आगे बढ़ाया था.
सब कुछ ठीक चल रहा था. फिर 2009 में जब भाजपा ने मुंडे को लोकसभा चुनाव का टिकट देकर दिल्ली भेजने का फैसला किया तो उन्होंने स्टेट पॉलिटिक्स में धनंजय की जगह उनसे करीब चार साल छोटी अपनी बेटी पंकजा मुंडे को आगे बढ़ाया.
हां, पंकजा को परली विधानसभा से भाजपा का टिकट मिल गया. यहीं से धनंजय के मन में नाराजगी घर करने लगी.
शायद गोपीनाथ मुंडे को बात समझ में आई तो उन्होंने धनंजय को संतुष्ट करने के लिए भाजपा से विधान परिषद की सदस्यता दिलवा दी.
हालांकि धनंजय को महसूस होने लगा था कि यह तो सिर्फ उन्हें मनाने का ट्रिक मात्र है.
NCP में चले गए धनंजय
धनंजय मुंडे की अपनी महत्वाकांक्षा थी. उन्हें लग रहा था कि विधान परिषद में रहने से वह जनता के दिलों में जगह नहीं बना सकते.
उनके पिता को भी लगा कि बेटे के साथ पक्षपात हुआ है. बेटा भाजपा में रहा लेकिन पिता ने शरद पवार की पार्टी एनसीपी का दामन थाम लिया.
दो साल बाद 2013 में धनंजय भी इस्तीफा देकर एनसीपी में चले गए.
गोपीनाथ का निधन और…
2014 के लोकसभा चुनाव में धनंजय ने खुलकर गोपीनाथ मुंडे का विरोध करना शुरू कर दिया.
दुखद यह रहा कि चुनाव के कुछ दिनों के बाद ही गोपीनाथ मुंडे की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई.
धनंजय अपने चाचा के अंतिम संस्कार में तो गए लेकिन पंकजा के साथ राजनीतिक दूरी कम नहीं हुई.
2019 में धनंजय ने एनसीपी के टिकट पर परली सीट से चुनाव लड़कर पंकजा मुंडे को हरा दिया.
पंकजा भाई धनंजय से कम देवेंद्र फडणवीस से ज्यादा नाराज दिखीं.
कुछ जानकार तो यह भी कहते हैं कि फडणवीस से टकराव टालने के लिए ही पार्टी ने इस बार पंकजा को बीड से टिकट देने का फैसला किया.
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इसी सीट से गोपीनाथ मुंडे 2009 और 2014 में जीते थे. पंकजा की छोटी बहन प्रीतम मुंडे दो बार यहां से जीत चुकी हैं.
– इस समय महाराष्ट्र में सियासी समीकरण बदल चुका है. धनंजय मुडे एनसीपी के अजीत पवार गुट के साथ हैं.
– अजीत की पार्टी एनडीए में शामिल है. इस तरह पंकजा और धनंजय एक ही गठबंधन में हैं. अजीत गुट से धनंजय मुंडे राज्य में मंत्री भी हैं.
– पिछले रक्षाबंधन पर धनंजय, पंकजा के घर राखी बंधवाने गए थे. दोनों बहनों ने धनंजय को 13 साल बाद राखी बांधकर मिठाई खिलाई.
– अब भाई अपनी बहन को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है.