पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. जाकिर हुसैन की मनाई गई जयंती
पटना, शैक्षिक उन्नति से सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले महान गांधीवादी, शिक्षाविद् , स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की 127वीं जयंती राजकीयकृत उर्दू मध्य विद्यालय नरकट घाट, गुलजारबाग, पटना में शिक्षक सूर्य कान्त गुप्ता के नेतृत्व में मनाई गई।
इस अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पण कर उपस्थित शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं ने श्रद्धांजलि दी। गुप्ता ने वर्ग – 6 की उर्दू भाषा एवं साहित्य की पाठ्य पुस्तक फिरोजान के अध्याय – 5 के पाठ ‘अहसान का बदला अहसान’, वर्ग – 8 के इतिहास की पाठ्यपुस्तक अतीत से वर्तमान के पाठ -7 के अध्याय ‘ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा’ तथा पाठ – 12 के अध्याय ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ से जोड़ते हुए डॉ. जाकिर हुसैन के जीवनवृत्त एवं कृतित्व से छात्र-छात्राओं को अवगत कराया।
उन्होंने बताया कि डॉ. जाकिर हुसैन का जन्म 8 फरवरी 1897 ई. को हैदराबाद में हुआ था। 23 वर्ष की उम्र में ये जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की स्थापना दल के सदस्य बन गए। वे इसके उप कुलपति भी बने।
स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिए। ये बिहार के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किये, फिर ये 1962 ई. में भारत के उपराष्ट्रपति बने। 13 मई 1967 से लेकर देहावसान 3 मई 1969 ई. तक भारत के राष्ट्रपति रहे। उनकी मृत्यु दिल्ली में हुई।
इस मौके पर नसरीन खातून, अल्फी परवीन, मुस्कान खातून किफा खातून, सानिया परवीन, साजदा खातून, कहकशां परवीन, खुशी परवीन, जैनब खातून, जास्मीन अली, रोशनी परवीन, गुलाम रसूल सहित अन्य छात्र-छात्राओं के द्वारा उनके जीवनवृत्त के बारे में जानकारी साझा की गई।
कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षिका विद्या झा, कनिज तैय्यबा, सबा हाशमी, तालिमी मरकज सदस्या रेशमा खातून सहित प्रधानाध्यापक एस इब्तेशाम हुसैन काशिफ की भूमिका अति महत्वपूर्ण रही।