BJP ने पूर्वी यूपी किया मजबूत, पश्चिम में क्यों हो रही साथी की तलाश
BJP : पिछले साल यूपी में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह ने
राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी को साधने की तमाम कोशिशें की थी।
जाट बेल्ट में मतदान से दो हफ्ते पहले तक जयंत चौधरी को संदेश भेजे जाते रहे।
लेकिन यह प्रयास विफल रहा। इस कदम से ऐसी पार्टी को लुभाने की भाजपा की उत्सुकता दिखाई दी
जो हमेशा उसकी विचारधारा और प्रस्तावों का विरोध करती रही है। ऐसी पार्टी को अपने साथ लाने की कोशिश हुई
जो मजबूती से यूपी की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के साथ खड़ी रही।
अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले फिर से निगाहें जयंत चौधरी पर टिकी हैं।
Bjp जयंत के साथ ही उनके जाट वोटों को लुभाने में लगी है। आखिर भाजपा को क्यों अब भी
जयंत की जरूरत महसूस हो रही है। क्या जयंत का पश्चिमी यूपी में मजबूत आधार Bjp को मजबूर कर रहा है।
भाजपा की कोशिशों पर आरएलडी प्रवक्ता अनिल दुबे ने स्पष्ट किया कि जयंत विपक्षी गठबंधन के साथ ही बने रहेंगे
और जयंत चौधरी खुद मुंबई में हो रही विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक में शामिल हो रहे हैं।
योजना आयोग के पूर्व सदस्य और चुनाव लड़ चुके सुधीर पंवार ने कहा कि यह सच है
कि भाजपा रालोद को अपने साथ लाने के लिए उत्सुक है। उन्होंने कहा कि
पूर्वी यूपी के विपरीत भाजपा को पश्चिमी यूपी में साझेदार नहीं मिल रहे हैं।
पंवार ने 2017 का विधानसभा चुनाव शामली जिले की थाना भवन विधानसभा सीट पर बीजेपी नेता सुरेश राणा के
खिलाफ लड़ा था और हार गए थे। 2022 में तत्कालीन गन्ना विकास मंत्री रहे राणा अपना चुनाव हार गए।
राणा भाजपा के उन 11 मंत्रियों में से थे जो अपना चुनाव हार गए थे।
पश्चिम में चुनौतियां पूर्वी के बिल्कुल विपरीत
पंवार ने कहा कि पश्चिमी यूपी में चुनौतियां पूर्वी यूपी के बिल्कुल विपरीत हैं।
पूर्वी यूपी में भाजपा के अभियान को दारा सिंह चौहान की वापसी से मजबूती मिली है।
दारा सिंह चौहान भाजपा के ओबीसी विंग के प्रमुख रहे हैं। दारा सिंह चौहान जैसे ओबीसी नेताओं की घर वापसी से
Bjp उत्साहित है। दारा सिंह चौहान ने पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले
योगी आदित्यनाथ सरकार से इस्तीफा देकर दो अन्य ओबीसी
मंत्रियों स्वामी प्रसाद मौर्य और धर्म सिंह सैनी के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे।
पूर्वी में कैसे मिली मजबूती
दारा सिंह चौहान के सपा में जाने और सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर के पहले से ही
सपा के साथ होने के कारण घोसी जैसे मुस्लिम और ओबीसी बहुल्य इलाके में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।
इस बार दारा सिंह चौहान के साथ ही ओपी राजभर भी भाजपा के साथ आ गए हैं।
Bjp को इस बार घोसी में बदलाव की उम्मीद है। इस बार चौहान भाजपा उम्मीदवार के रूप में फिर से मैदान में हैं।
Bjp को लगता है कि 5 सितंबर को घोसी में होने वाले उपचुनाव में ओबीसी उसके साथ नजर आएंगे।
इस चुनाव को विपक्षी इंडिया गठबंधन बनाम बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए की पहली परीक्षा भी मान रहे हैं।
2022 में सपा के पक्ष में ओबीसी एकजुटता की कीमत भाजपा को मऊ, जौनपुर और आज़मगढ़ जैसे
निर्वाचन क्षेत्रों में चुकानी पड़ी थी। जहां सपा ने सभी 10 विधानसभा सीटें जीतीं थीं।