Online Gaming पर सख्ती, संसद ने असली पैसे वाले गेम्स और बेटिंग ऐप्स को किया प्रतिबंधित
Online Gaming : लोकसभा ने बुधवार को प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 को मंजूरी दे दी, जिसके तहत भारत में ऑनलाइन रियल-मनी गेम्स और बेटिंग ऐप्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाएगा। इस विधेयक का उद्देश्य युवाओं को नशे की लत, वित्तीय नुकसान और धोखाधड़ी से बचाना है, जबकि ईस्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है।
क्या है इस बिल का मकसद?
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा पेश किए गए इस बिल में ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने और समाज को इसके नकारात्मक प्रभावों से बचाने पर जोर दिया गया है। सरकार का कहना है कि ऑनलाइन मनी गेम्स से नशे की लत, वित्तीय नुकसान, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और यहां तक कि आत्महत्या जैसी गंभीर समस्याएं सामने आई हैं। इसके अलावा, मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और धोखाधड़ी जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जोखिम भी इस बिल के पीछे प्रमुख कारण हैं।
क्या होगा बैन?
- रियल-मनी गेम्स: फैंटेसी स्पोर्ट्स (जैसे Dream11, MPL), ऑनलाइन पोकर, रम्मी, और अन्य कार्ड गेम्स सहित सभी ऑनलाइन गेम्स, जिनमें पैसे जमा करके जीतने की उम्मीद होती है, पर प्रतिबंध लगेगा।
- ऑनलाइन बेटिंग और जुआ: ऑनलाइन सट्टेबाजी, जुआ और लॉटरी से संबंधित सभी गतिविधियां गैरकानूनी होंगी।
- विज्ञापन और वित्तीय लेनदेन: मनी गेम्स से जुड़े विज्ञापनों पर रोक लगेगी, और बैंक व वित्तीय संस्थानों को ऐसे गेम्स के लिए फंड ट्रांसफर करने से रोका जाएगा।
क्या मिलेगी अनुमति?
- ईस्पोर्ट्स: प्रतिस्पर्धी और स्किल-बेस्ड गेम्स, जैसे कि ईस्पोर्ट्स, को वैध माना जाएगा और सरकार इनके लिए ट्रेनिंग, रिसर्च और टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म्स को सपोर्ट करेगी।
- सोशल और एजुकेशनल गेम्स: सब्सक्रिप्शन-बेस्ड सोशल गेम्स और एजुकेशनल गेम्स को अनुमति होगी, बशर्ते इनमें कोई मौद्रिक रिटर्न न हो।
सजा और जुर्माना:
- ऑनलाइन मनी गेम्स को ऑफर करने या बढ़ावा देने वालों को 3 साल तक की जेल और/या 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- विज्ञापन देने वालों को 2 साल की जेल और/या 50 लाख रुपये का जुर्माना।
- बार-बार उल्लंघन करने वालों के लिए सजा को और सख्त किया जाएगा, जिसमें 5 साल तक की जेल और 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना शामिल है।
उद्योग की चिंताएं:
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) जैसे उद्योग निकायों ने इस बिल का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह बिल 400 से अधिक कंपनियों को बंद कर सकता है, जिससे लगभग 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। उद्योग का अनुमान है कि यह क्षेत्र 20,000 करोड़ रुपये का टैक्स देता है और 2028 तक दोगुना होने की संभावना है। बैन से यूजर्स अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की ओर जा सकते हैं, जिससे टैक्स राजस्व और उपभोक्ता सुरक्षा को नुकसान होगा।
विपक्ष का रुख:
कांग्रेस सांसद प्रियंक खड़गे और शशि थरूर ने बिल पर चर्चा की कमी और उद्योग के साथ परामर्श न करने की आलोचना की है। उनका कहना है कि प्रतिबंध की जगह रेगुलेशन बेहतर विकल्प हो सकता है, जिससे अवैध बाजारों को रोका जा सके और राजस्व उत्पन्न हो सके।
अगला कदम:
बिल अब राज्यसभा में विचार के लिए जाएगा, जहां इस पर और चर्चा होने की उम्मीद है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। सरकार का दावा है कि यह कदम भारत को रेगुलेटेड ऑनलाइन गेमिंग में वैश्विक नेता बना सकता है, साथ ही समाज को हानिकारक गेमिंग प्रथाओं से बचा सकता है।
प्रभाव:
यह बिल भारत के 3.8 बिलियन डॉलर के गेमिंग उद्योग पर गहरा असर डालेगा, जिसमें Dream11, Games24X7 और Mobile Premier League जैसे बड़े नाम शामिल हैं। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा दे सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण को खतरा हो सकता है।