Erosion: छितौनी बांध के पास तेजी से कटान, सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं
Erosion: कुशीनगर जिले के खड्डा अंतर्गत नारायणी नदी में घटते जल स्तर से छितौनी बांध के समीप हो रहे वैकरोलिंग ने नदी का कटान खतरे की ओर बढ़ता जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में पहली बार नदी ने अपनी दिशा बदलते हुए 7.738 किमी और 8.800 किमी के बीच 2 मीटर गहरी कटान शुरू कर दी है।
यह कटान लगातार बढ़ रहा है और बांध के समीप पहुंचने की स्थिति में है। हालांकि, अब तक इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए बाढ़ खण्ड द्वारा कोई प्रभावी सुरक्षा उपाय शुरू नहीं किए गए हैं।
सुरक्षा इंतजाम का अभाव
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों के मुताबिक, नदी के कटान से छितौनी बांध के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो सकता है।
बीती रात 12वजे 45.600 2वजे 45.600पानी का डिस्चार्ज रहा वहीं आज 6वजे 41.400,8वजे44.200,10वजे 44.200 रहा।बांध के कटने का इंतजार करते हुए क्षेत्र के लोग चिंतित हैं क्योंकि अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं किया गया है। बांध की सुरक्षा के लिए कोई भी योजना बनाई नहीं गई, जिससे क्षेत्रवासियों में भय का माहौल है।
नदी का बढ़ता कटान
रिपोर्ट्स के अनुसार, नदी का कटान धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है, और इसके कारण आसपास की जमीनों में भी घेराव होने की संभावना है। यदि इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। नदी की गहराई में लगातार बढ़ोतरी से आसपास की मिट्टी और जमीन की स्थिरता पर भी असर पड़ रहा है।
बाढ़ खंड के एसडीओ मनोरंजन कुमार ने बताया कि नारायणी नदी में जल स्तर घटने के कारण छितौनी बांध के समीप वैकरोलिंग (गर्त बनना) हो रहा है। इसके चलते नदी द्वारा किए जा रहे कटाव को रोकने के लिए मिट्टी से भरी बोरियों को जाली में भरकर किनारे पर लगाया जा रहा है। स्थिति नियंत्रण में है और फिलहाल किसी प्रकार के खतरे की आशंका नहीं है।