childbirth:जन्म के तुरंत बाद रोना स्वस्थ शिशु की पहली निशानी :डॉ॰ आर॰एस दूबे

Date:

spot_img
spot_img

Date:

spot_img
spot_img

childbirth:जन्म के तुरंत बाद रोना स्वस्थ शिशु की पहली निशानी :डॉ॰ आर॰एस दूबे

नियमित जांच व संस्थागत प्रसव से हारेगा बर्थ एस्फिजिया

घर पर न कराएं प्रसव तभी सुरक्षित होगा जच्चा-बच्चा का जीवन

• वर्ष 2021 से अब तक हुए 90769 संस्थागत प्रसव व घर पर हुए 2438 प्रसव

• गंभीर रूप से अस्वस्थ गर्भवती का प्रसव SNCU सुविधा वाले अस्पताल में कराएं

प्रयागराज 18 नवंबर 2022: जन्म के तुरंत बाद शिशु का रोना उसके स्वस्थ होने की पहली निशानी है।

ऐसे शिशु जो जन्म के तुरंत बाद नहीं रोते हैं उस स्थिति को बर्थ एस्फिजिया माना जाता है।

- Advertisement -
- Advertisement -

मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय में तैनात सीनियर कंसल्टेंट

पीडियाट्रिशियन (वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग) डॉ॰ आर॰एस दूबे बताते हैं कि “प्रसव के दौरान यह स्थिति शिशु के

मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण होती है। जनपद में वर्ष 2021 से

अक्टूबर 2022 तक 90769 प्रसव स्वास्थ्य केंद्र (संस्थागत) में व घर पर 2438 प्रसव (childbirth) हुए।

शिशु के विकास की प्रक्रिया

डॉ॰ दूबे ने बताया कि “मस्तिस्क के विकास में सबसे बड़ी भूमिका ऑक्सीज़न की होती है।

गर्भवस्था के दौरान शिशु का फेफड़ा कार्य नहीं करता है। मां जब सांस लेती है

तो उसके खून में मौजूद ऑक्सीभजन बच्चे के रक्त में जाता है। 6 हफ्ते के बाद गर्भ में पल रहे

शिशु (भ्रूण) को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए गर्भनाल विकसित हो जाता है।

ये गर्भनाल अपरा या प्लेसेंटा से जुड़ी होती है इससे बच्चे तक पोषण व ऑक्सीज़न युक्त रक्त पहुंचता है।

इससे बच्चा विकास करता है। प्रसव के तुरंत बाद वातावरण में आते ही शिशु पहली बार सांस लेने के दौरान ही तुरंत

रोता है। इसका प्रभाव उसके मानसिक स्वास्थ्य (मेंटल हेल्थ) के विकास के लिए भी अच्छा रहता है।

बर्थ स्फीजिया से करीब चार प्रतिशत शिशुओं की जन्म के दौरान ही मृत्यु हो जाती है।“

एसएनसीयू सुविधा वाले अस्पताल में कराएं प्रसव (childbirth)

गर्भ में पल रहे बच्चे को जरूरी पोषण व ऑक्सीज़न पूर्ण मात्रा मिले इसके लिए

स्वास्थ्य विशेषज्ञ गर्भवती की नियमित जांच कराने व प्रमाणित चिकित्सालय में (संस्थागत प्रसव) प्रसव कराने की

सलाह देते हैं। ऐसी गर्भवती जिसके पिछली डिलीवरी के दौरान उसके शिशु को बर्थ एस्फिजिया हुआ था

तो दूसरी डिलीवरी में इसकी संभावना बढ़ सकती है। जो गर्भवती एनेमिया, हाई या लो ब्लड प्रेशर,

डायबिटीज, प्रीक्लेम्पसिया या एक्लेम्पसिया या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हैं

उनका प्रसव उसी चिकित्सालय में कराएं जहां स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) की सुविधा उपलब्ध हो।

ताकि प्रसव के दौरान जन्म लेने वाले शिशु को बर्थ एस्फिजिया होने पर उनका जीवन बचाया जा सके।

केस 1 : जनपद के बादशाही मण्डी निवासी अनम परवीन का प्रसव बीते वर्ष नवंबर माह में हुआ।

क्षेत्र में नियुक्त आशा कार्यकर्ता फिरदौस बानों के लाख समझाने पर भी अनम ने उसकी बात नहीं मानी और बिना

सूचित किए घर में ही अप्रशिक्षित महिला से अपना प्रसव कराया।

प्रसव के दौरान अनम की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर हो गई व जन्म लेने वाला शिशु बर्थ एस्फिजिया का शिकार हो गया।

अनम के परिजनों ने फिरदौस से संपर्क किया व उसे स्थिति से अवगत कराया।

फिरदौस आनन-फानन में तुरंत अनम व जन्म लिए शिशु को नजदीकी

एसएनसीयू सुविधा युक्त अस्पताल लेकर गईं। तब जाकर अनम व जन्म लेने वाले शिशु को बचाया जा सका।

केस 2 : चौक निवासी रचना कनौजिया ने गर्भवस्था के दौरान नियमित जांच कराने में लापरवाही की

इसके चलते रचना का स्वास्थ्य बिगड़ने पर गर्भवस्था के निश्चित समय से पहले संस्थागत प्रसव हुआ।

इस कारण रचना ने जिस शिशु को जन्म दिया वह जन्म के तुरंत बाद नहीं रोया।

चिकित्सक ने बच्चे में बर्थ एस्फिजिया का लक्षण देखते ही उसे जनपद के सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन

अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में इलाज के लिए रेफर किया। इससे

चिकित्सककी समझदारी से रचना के शिशु का जीवन बचाया जा सका।

शहर के दो सेंटरों में एसएनसीयू वार्ड उपलब्ध

जिला कार्यक्रम प्रबन्धक विनोद सिंह ने बताया कि “राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जनपद के जिला महिला

अस्पताल (डफरिन), सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन अस्पताल में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) बनाये गए हैं।

इसके साथ ही निजी अस्पताल जहां पर बर्थ एस्फिजिया के लक्षण वाले नवजात भर्ती होते हैं।

यहां आधुनिक उपकरणों की सहायता से विशेषज्ञ बर्थ एस्फिजिया के लक्षण युक्त बच्चों के जीवन को बचाने का

प्रयास चिकित्सक करते हैं। अगर डिलिवरी किसी दूसरे अस्पताल में हुई है

तो बच्चे को यहाँ लाते समय ऑक्सीज़न लगाकर ही लाएँ ताकि बच्चे का मस्तिस्क निष्क्रिय होने से बचा रहे।

जच्चा व बच्चा के जीवन को सुरक्षित करने के लिए जनपद में आशा कार्यकर्ता के माध्यम से जनसमुदाय को संस्थागत

प्रसव (childbirth) के लिए जागरूक किया जाता है। जच्चा व बच्चा दोनों के सुरक्षित जीवन के लिए घर पर प्रसव न कराएं।”

Share This:
Ajay Sharmahttps://computersjagat.com
Indian Journalist. Resident of Kushinagar district (UP). Editor in Chief of Computer Jagat daily and fortnightly newspaper. Contact via mail computerjagat.news@gmail.com

Most Popular

More like this
Related

वैष्णो देवी ट्रैक पर भूस्खलन, पांच श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत

वैष्णो देवी ट्रैक पर भूस्खलन, पांच श्रद्धालुओं की दर्दनाक...

कटरीना कैफ का शाहरुख खान पर निशाना, मीडिया के सामने दिया करारा जवाब

कटरीना कैफ का शाहरुख खान पर निशाना, मीडिया के...

प्रशासन की निगरानी में हो रहा यूरिया खाद का वितरण

प्रशासन की निगरानी में हो रहा यूरिया खाद का...

अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट परिसर में न्यायालय के निर्देश पर आठों भवन स्वतः हटाए गए

अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट परिसर में न्यायालय के निर्देश पर आठों...