Cyber thug: साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर युवक से 85 हजार रुपये ऐंठे
Cyber thug: बिहार के बेतिया जिले में साइबर अपराधियों ने एक युवक को डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसाकर 85 हजार रुपये की ठगी कर ली।
योगापट्टी के मच्छरगांवा निवासी दीपू कुमार इस साइबर ठगी के शिकार बने।
ठगों ने दीपू पर लड़कियों को अश्लील मैसेज भेजने का झूठा आरोप लगाकर उन्हें 3 घंटे 10 मिनट तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और धमकाकर उनके बैंक खाते से 85 हजार रुपये ट्रांसफर करा लिए।
इस मामले में साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस जांच में जुट गई है।
कैसे हुआ ठगी का खेल?
दीपू कुमार ने पुलिस को बताया कि 13 मई 2025 को दोपहर में उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप कॉल आया।
कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि दीपू एक मोबाइल नंबर से लड़कियों को अश्लील मैसेज भेज रहे हैं।
ठग ने दावा किया कि उनके खिलाफ 20 से ज्यादा केस दर्ज हैं और गिरफ्तारी का वारंट जारी है।
दीपू ने जब खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उक्त नंबर उनका नहीं है, तो अपराधी ने उनका आधार नंबर बताकर डराना शुरू किया।
इसके बाद ठगों ने सीबीआई, आरबीआई, टेलीकॉम और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े फर्जी अधिकारियों के साथ व्हाट्सएप कॉन्फ्रेंस कॉल का नाटक रचा।
कॉल के दौरान बैकग्राउंड में वायरलेस, पुलिस सायरन और गाड़ियों की आवाजें सुनाई दे रही थीं, जिससे दीपू और डर गए।
3 घंटे 10 मिनट तक डिजिटल अरेस्ट
अपराधियों ने दीपू को 3 घंटे 10 मिनट तक मानसिक दबाव में रखा। फर्जी अधिकारियों ने उनसे तरह-तरह के सवाल किए और डराने-धमकाने का सिलसिला जारी रखा।
अंत में, ठगों ने “केस में मदद” और “ट्रांसफर मिलान” के बहाने दीपू से एक बैंक खाते में 85 हजार रुपये ट्रांसफर करा लिए।
ठगी का एहसास होने पर दीपू ने तुरंत बैंक में संपर्क कर अपना खाता होल्ड करवाया और साइबर थाना में शिकायत दर्ज की।
पुलिस की कार्रवाई
साइबर थाना के डीएसपी गौतम शरण ओमी ने बताया कि दीपू कुमार की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
पुलिस ठगों के बैंक खाते और कॉल डिटेल्स की जांच कर रही है। डीएसपी ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान कॉल्स पर भरोसा न करें और ऐसी किसी भी धमकी की स्थिति में तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
साइबर ठगी का बढ़ता खतरा
बिहार में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट जैसे नए हथकंडों का इस्तेमाल कर अपराधी भोले-भाले लोगों को निशाना बना रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर अपराधी अक्सर सरकारी एजेंसियों के नाम का दुरुपयोग कर लोगों को डराते हैं।
नागरिकों को सतर्क रहने और अनजान लिंक या कॉल्स से सावधान रहने की सलाह दी जा रही है।
नोट: साइबर ठगी से बचने के लिए किसी भी अनजान कॉल पर अपनी निजी जानकारी साझा न करें। डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती। ऐसी स्थिति में तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें।