Crocodile: चंबल के मगरमच्छों की उम्र 10 साल बढ़ी, पाए जाते हैं 17 फीट के क्रोकोडाइल
Crocodile: यूं तो मगरमच्छ तमाम नदियों और तालाबों में गुजर बसर करते हैं।
लेकिन, चंबल की वादियां उन्हें खूब रास आ रही हैं। पानी भी अमृत का काम कर रहा है।
नदी में उन्हें मिल रहे बेहतर हेविटाट से उनका जीवन भी बढ़ चला है।
मगरमच्छ अब एक दो साल नहीं। निर्धारित उम्र से 10 साल तक अधिक जी रहे हैं।
साल 1978 में बनी चंबल अभयारण्य में 2100 से अधिक घड़ियाल और 878 के करीब मगरमच्छ का
संरक्षण हो रहा है। साल 2008 से घड़ियाल-मगरच्छ की यहां प्राकृतिक हैचिंग हो रही है।
मद्रास क्रोकोडाइल रिसर्च सेंटर इन जलीय जीवों के व्यवहार पर रिसर्च कर रहा है।
उनका दावा है कि मगरमच्छों की रात में देखने की क्षमता दिन के मुकाबले अधिक है।
इसके चलते ये रात के समय कई गुना अधिक खतरनाक हो जाते हैं।
चंबल के वयस्क मगरमच्छ का वजन 600 से 1000 किलोग्राम तक है।
10 से 17 फीट के विशालकाय मगरमच्छ हैं। चंबल वाइल्डलाइफ के
सेवानिवृत्त डीएफओ दिवाकर श्रीवास्तव बताते हैं कि मगरमच्छ की जीवन आयु 35 से 40 वर्ष है।
जू में रहने वाले मगरमच्छ 45 से 50 वर्ष तक जीते हैं। इसके पीछे कई शक्तियां कार्य करती हैं।
जू में मगरमच्छ को समय से भोजन, चिकित्सकीय उपचार और संपूर्ण सुरक्षा प्रदान होती है।
लेकिन, वाइल्ड में ऐसा कुछ नहीं है। चंबल के मगरमच्छ वाइल्ड का हिस्सा हैं।
लेकिन, नदी का स्वच्छ पानी और पर्याप्त मात्रा में भोजन इन्हें सुकून प्रदान कर रहा है।
वन विभाग द्वारा शिकारियों पर लगाए अंकुश और खनन पर प्रतिबंध ने इनको नया जीवन दिया है।
यही कारण है कि चंबल सेंचुरी अब कुकरैल पर निर्भर नहीं है।
प्राकृतिक हैचिंग से बच्चे नदी में उतर रहे हैं।नदी में अधिकांश मगरमच्छ वयस्क हैं।
इनकी उम्र भी 40 से अधिक है। धूप सेकने के लिए ये नदी के टापुओं पर बाहर आ रहे हैं।
2-5 फीसदी है बच्चों का जीवन
मगरमच्छ और घड़ियाल के बच्चे जून में अंडों से बाहर आते हैं। मादा उन्हें नदी में लेकर जाती है।
बमुश्किल एक माह भी ठीक से नहीं गुजरता है। पहला खतरा उन्हें बाढ़ का होता है।
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इसके साथ ही कुत्ते, पक्षी, बड़ी मछलियां, कछुए सहित पानी में हजारों जीव इनकी जान के दुश्मन हैं।
मगरमच्छ भी इन नवजातों को खा जाता है। इनका जीवन औसत महज 2 से 5 फीसदी है।
वयस्क होने के बाद ये खतरे से बाहर हैं। इनकी फुर्ती और अक्रामकता सैलानियों में काफी चर्चित है।
चर्चित है कसौबा मेल
चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या दो हजार के करीब है। लेकिन,
इनमें एक घड़ियाल अपनी दबंगई से काफी प्रसिद्ध है। वन विभाग ने उसे कसौबा मेल नाम दिया है।
17 फीट का विशालकाय घड़ियाल दूर से नदी में दिखाई देता है।
कसौबा गांव के पास 10 किलोमीटर के दायरे में इसने अपनी टेरिटरी बनाई है। यहीं ये रहता है।
नवजात बच्चों के साथ पानी में इसकी अठखेलियां सभी को भाती हैं।
ये घड़ियाल बच्चों को पिता की भांति तालीम देता है। दशकों से इसकी चर्चाएं हैं।
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डीएफओ चंबल वाइल्ड लाइफ, आरुषि मिश्रा ने कहा कि चंबल नदी में स्वच्छ पानी,
भरपूर भोजन और पर्याप्त सुरक्षा जलीय जीवों को मिल रही है। यही कारण है
कि जू की भांति चंबल के मगरमच्छों की उम्र भी 10 वर्ष तक बढ़ी है।
संस्था डब्ल्यूडब्ल्यूएफ से चंबल के मगरमच्छ व घड़ियालों की उम्र के आधार से
सर्वे कराया जा रहा है। ताकि, सही स्टडी लोगों के सामने आ सके।