Health mens: मर्द को भी दर्द होता है ! बस उसे दिखाना नहीं आता, देखें क्या कहते हैं स्वास्थ्य से जुड़े यह आंकड़े
Health mens: नवंबर के पूरे महीने को पुरुष स्वास्थ्य जागरुकता माह के रूप में मनाया जा रहा है.
यह सही समय है जब हमें अपने पिता, पुत्र, पति, भाई और दोस्त की उन स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में
बात करनी चाहिए, जिनसे वह परेशान तो होते हैं, लेकिन हमें दिखाते नहीं हैं.
बता दें कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों की जीवन प्रत्याशा भी कम हो रही है,
यानी पुरुषों जल्दी जान गंवा रहे हैं. अब हम पुरुषों के स्वास्थ्य को लेकर चुप नहीं रह सकते.
अपने परिवार में सभी के स्वास्थ्य की चिंता करने वाला पुरुष अक्सर अपने छोटे-मोटे दर्द छिपा जाता है.
वह अपनी उन छोटी-मोटी परेशानियों के बारे में परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से बात ही नहीं करता,
जिनसे वह जूझ रहा है. भले ही यह परेशानियां उनके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही
मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रही हों. इसमें प्रोस्टेट कैंसर, टेस्टीकुलर कैंसर
और मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल हैं. पुरुषों में आत्महत्या के मामले भी ज्यादा देखने को मिलते हैं.
हर साल 2 लाख 30 हजार पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर होता है. कैंसर डॉट ओआरजी (Cancer.org) के अनुसार
यह पुरुषों में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. अपने पूरे परिवार के स्वास्थ्य के लिए पंजों पर खड़े रहने
वाले ज्यादातर पुरुष अपने स्वास्थ्य को लेकर उदासीन हो जाते हैं.
आंकड़ों के अनुसार पांच में से सिर्फ 3 पुरुष ही सालाना हेल्थ चेकअप कराते हैं.
यही नहीं सिर्फ 40 फीसद पुरुष ही गंभीर स्वास्थ्य समस्या की आशंका में डॉक्टर के पास जाते हैं.
यहां तक कि आधे से ज्यादा पुरुष अपने स्वास्थ्य के बारे में बात ही नहीं करना चाहते.
निर्भीक और दर्द से दूर
पिता की छवि परिवार में सुपरहीरो की होती है. वह अपने परिवार के लिए तो हमेशा खड़ा रहता है,
लेकिन अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज करता रहता है.
वह अपने परिवार का सुपरमैन, कैप्टन अमेरिका या थॉर होता है.
लगभग यही छवि परिवार के हर पुरुष की होती है. पुरुषों को आमतौर पर मजबूत भी माना जाता है.
बॉलीवुड की एक फिल्म में तो पुरुषों की मजबूती को दर्शाता एक डायलॉग लिखा गया था, ‘
मर्द को दर्द नहीं होता’, लेकिन ऐसा नहीं है, मर्द को दर्द होता है, लेकिन उसे अपने दर्द को दिखाना नहीं आता.
पुरुषों को निर्भीक भी माना जाता है और आंकड़े बताते हैं कि पुरुष महिलाओं के मुकाबले
अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए डॉक्टर के पास कम जाते हैं.
पुरुषों के लिए अघोषित रूप से अपनी कमजोरियों, अपने डर और अपनी समस्याओं को दिखाना वर्जित है.
क्योंकि पुरुष की जो निर्भीक और मजबूत छवि है, उस छवि को यह सब धूमिल करते हैं.
अमेरिका के क्लेवलैंड क्लीनिक के अनुसार 40 फीसद पुरुष सिर्फ गंभीर समस्या होने पर ही डॉक्टर के पास जाते हैं,
लेकिन फॉलोअप व रुटीन चैकअप के लिए वह भी नहीं जाते.
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इससे डरते हैं पुरुष
पुरुष डॉक्टर के पास इसलिए भी नहीं जाते कि कहीं कहीं कोई बीमारी न निकल आए.
एक रिसर्च में सामने आया है कि 21 फीसद पुरुषों का मानना है
कि वह किसी परेशानी का निदान होने के डर से डॉक्टर के पास नहीं जाते.
इससे एक बात स्पष्ट होती है कि पुरुष अपनी कमजोरी, अपनी दिक्कतों और अपने डर को सामने लाने से डरते हैं.
अगर आप भी ऐसा ही करते हैं तो बता दें कि आप अपने स्वयं के साथ और परिवार के साथ अन्याय कर रहे हैं.
इस तरह से समस्या से मुंह चुराना आपको और गंभीर समस्या में डाल सकता है.
हर 9 में से एक पुरुष को होता है प्रोस्टेट कैंसर
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार हर साल करीब 1 लाख 75 हजार प्रोस्टेट कैंसर के नए मामले सामने आते हैं.
अमेरिकी पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर सबसे आम है. प्रोस्टेट कैंसर का विकास धीरे-धीरे होता है
और ज्यादातर मामलों में तुरंत इलाज की आवश्यकता नहीं होती और वह घातक भी नहीं होते.
फिर भी अगर इसका पहले पता चल जाए तो इलाज आसान हो सकता है.
मानसिक स्वास्थ्य
अमेरिकन साइक्लोजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार 30.6 फीसद लोगों को अपने जीवनकाल में
कभी न कभी अवसाद यानी डिप्रेशन होता है. इसके बावजूद पुरुष अपनी समस्या के लिए मेडिकल हेल्प लेने से कतराते हैं
और यह उनकी समस्या को बढ़ा देता है. जो पुरुष अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाते हैं
उन्हें मानसिक स्थिति से उबरने में मदद मिलती है. इसलिए अपने
घर के सुपरहीरो से उनकी मानसिक सेहत के बारे में बात करें.
पुरुषों को अपने लाइफस्टाइड डिसीजन बेहतर लेने चाहिए
आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक शराब का सेवन करते हैं और अधिक धूम्रपान करते हैं.
शराब के सेवन और धूम्रपान के कारण उनकी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है.
ड्रग्स और शराब के कारण फेफड़ों, दिल से जुड़ी बीमारियां और लिवर रोग होने का खतरा रहता है,
लेकिन इन्हें रोका जा सकता है. यह भी एक सच है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं ज्यादा सब्जियां और फल खाते हैं,
जबकि पुरुष मीट और डेयरी उत्पाद का ज्यादा सेवन करते हैं.