Sanitation day: मासिक धर्म स्वच्छता दिवस: शर्म नहीं, समझ जरूरी – डॉ. सुजाता संजय
Sanitation day: देहरादून में विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर डॉ. सुजाता संजय ने एक वेबिनार के माध्यम से नर्सिंग छात्र-छात्राओं को मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व पर जागरूक किया।
इस वर्ष की थीम “एक साथ #पीरियडफ्रेंडली वर्ल्ड” के तहत उन्होंने मासिक धर्म को सामान्य और स्वाभाविक जैविक प्रक्रिया बताते हुए इससे जुड़े मिथकों और भ्रांतियों को तोड़ने पर जोर दिया।
डॉ. सुजाता ने कहा कि मासिक धर्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि हर महिला के जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। भारत में करीब 110 मिलियन किशोर लड़कियों में मासिक धर्म स्वच्छता और निस्तारण के ज्ञान की कमी है,
जो उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। उन्होंने बताया कि शर्म, संकोच और अज्ञानता के कारण लड़कियां मानसिक तनाव और शारीरिक समस्याओं का सामना करती हैं।
उन्होंने अपने क्लीनिक के अनुभव साझा करते हुए कहा कि अनुचित स्वच्छता, जैसे गंदे कपड़े का उपयोग या सैनिटरी नैपकिन बार-बार न बदलना, गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है, जो भविष्य में प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।
डॉ. सुजाता ने माता-पिता, शिक्षकों और अभिभावकों से अपील की कि वे बेटियों को इस विषय पर खुलकर जानकारी दें और आत्मविश्वास प्रदान करें।
यह दिवस, जो 2014 से मनाया जा रहा है, मासिक धर्म के प्रति जागरूकता फैलाने और स्वच्छता को बढ़ावा देने का एक वैश्विक मंच है।
डॉ. सुजाता ने जोर देकर कहा कि मासिक धर्म पर खुली बातचीत से न केवल स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि बाल विवाह, पोषण और शिक्षा जैसे मुद्दों पर भी जागरूकता बढ़ेगी।
उन्होंने समाज से आह्वान किया कि मासिक धर्म को सामान्य मानकर बेटियों को शिक्षित और सशक्त करें, ताकि वे स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन जी सकें।